रामनगर: प्लास्टिक के सामान का उपयोग न करने से ही बचाया जा सकता है पर्यावरण, थर्माकोल की थाली व गिलास इस्तेमाल बिल्कुल न करें, इससे कैंसर का खतरा

समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड 

प्लास्टिक के सामान का उपयोग न करने से ही बचाया जा सकता है पर्यावरण। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम प्लास्टिक की चीजों का उपयोग न करें जिससे हम खुद को और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। यह बात नेचर साइंस इनिशिएटिव से जुड़ी देहरादून से आईं सौम्या प्रसाद ने राजकीय इंटर कालेज ढेला रामनगर के बच्चों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बहुत नुकसान करने में प्लास्टिक की चीजों का बहुत बड़ा हाथ है। प्लास्टिक से पर्यावरण प्रदूषण बहुत ज्यादा होता है। प्लास्टिक के कप और डिस्पोजेबल में गर्म चीजें लेकर खाना पीना शुरू कर देते हैं लेकिन उन प्लास्टिक में रासायनिक सामान मिला हो सकता है जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। प्लास्टिक के डिस्पोजेबल में हम चाय कॉफ़ी पीते हैं उसमें उपरी भाग में एक परत केमिकल मोम का होता है जो गर्म चीजों के पड़ते ही पिघलने लगता है। प्लास्टिक गर्मी और धूप में पिघलती है और उसके साथ जहरीली रासायनिक पदार्थ भी पिघलने लगता है जो खाने के साथ हमारे शरीर के अंदर जाकर केंसर को जन्म देता है। प्लास्टिक से बने खिलौने जिनमें रंगों का उपयोग होता है, वह भी बहुत ज्यादा खतरनाक होता है। प्लास्टिक के बने खिलौनों में रासायनिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इन प्लास्टिक से बने खिलौनों में सीसा और आर्सेनिक का उपयोग होता है जो विषैले होते हैं और इनसे बने खिलौनों को छोटे-छोटे बच्चे मुंह में लेकर खेलते हैं। इन प्लास्टिक और उसमे इस्तेमाल होने वाले रंग से कैंसर होने की सम्भावना होती है। प्लास्टिक की बोतल में मिले हुए रसायन पानी में मिलकर पानी को नुकसानदेह बना देते है। प्लास्टिक के सामान के उपयोग से 90% कैंसर की संभावना होती है। यह वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित किया गया है। उन्होंने कहा कि सामान खरीदने जाने पर अपने साथ कैरी बेग (कपड़े या कागज के बने) लेकर जाएं। पारंपरिक तरीके से बने बर्तनों, स्टील व कांच के बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें।
प्लास्टिक सामान को कम करने की कोशिश करें। धीरे-धीरे प्लास्टिक से बने सामान की जगह लकड़ी, कपड़े से बने सामान अपनाएं। प्लास्टिक की पीईटीई (PETE) और एचडीपीई (HDPE) प्रकार के सामान चुनिए। यह प्लास्टिक आसानी से रिसाइकल हो जाता है। प्लास्टिक बैग और पोलिएस्ट्रीन फोम को कम से कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें। इनका रिसायकल रेट बहुत कम होता है। जहां प्लास्टिक रिसाईकल किया जाता है। अपने कचरे को वहां पहुंचाने की व्यवस्था करें। थर्माकोल की थाली, गिलास इस्तेमाल बिल्कुल न करें इससे कैंसर का खतरा है। इस मौके पर
रिद्धिमा, प्रभारी प्रधानाचार्य मनोज जोशी, नवेंदु मठपाल, सीपी खाती, सुभाष गोला आदि मौजूद थे।

 

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