समाचार शगुन हल्द्वानी उत्तराखंड
उत्तराखंडी लोकभाषाओं के लिए काम करने वाली संस्था दुदबोली
की मासिक बैठक पर्वतीय सभा लखनपुर में संपन्न हुई। इस बार कुमाऊंनी के वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश जोशी की कविताओं और कहानियों पर चर्चा की गई। जगदीश जोशी के कविता कर्म पर बातचीत रखते हुए निखिलेश उपाध्याय ने कहा कुमाउनी में जगदीश जोशी के दो कविता संग्रह जैड.ड़ि उज्याव,चांदि और सुनार तथा एक कहानी-संग्रह ‘ग्यस उज्याव’ प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त संस्मरण मेरि लेखि चिट्ठि म्यारै नाम,आंखिरी पात(अनुवाद) भी प्रकाशित हो चुके हैं। गोपाल दत्त भटजी पर समीक्षात्मक किताब पूरी हो चुकी है। आप कुमाऊंनी साहित्य की समृद्धि में निरंतर अपना योगदान दे रहे हैं। आपके सौजन्य से प्रतिवर्ष सुपुत्र की याद में भारतेंदु निर्मल जोशी कुमाउनी समालोचना लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। आपकी पैंलियै हौत, बासि अखबारौक चिथौड़ में, जैङड़ी उज्याव व नरै कविताएं कुमाऊं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं।साहित्य लेखन हेतु आपको शेर सिंह बिष्ट अनपढ़ कुमाउनी कविता,पुरस्कार-2011, डॉ.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल सम्मान-2011: 12, बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाऊंनी कहानी पुरस्कार-2013 आदि पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जगदीश जोशी की कविताओं में विषयवस्तु और भावना में उम्र,समय ओर संयोग का जबरदस्त दबाव है।उनकी कविताओं में व्यंग है तो आम जन का दर्द भी।उनकी कविताएं लड़ने की हिम्मत देती हैं तो स्वप्न देखने की इच्छाशक्ति भी। जगदीश जोशी की कविताओं पर बातचीत रखते हुए कुमाऊंनी त्रैमासिक पत्रिका दुदबोली के संपादक मंडल के सदस्य नवेंदु मठपाल ने कहा कि उन्होंने जहां रमट फरार जैसी कविता लिख समाज में चल रही लूट खसोट और उसके पालनहारों पर तगड़ी चोट की है वहीं चाँदि और सुनार में प्रकृति के संरक्षण की जोरदार वकालत की है। उनकी कविताओं की ये विविधता ही ध्यान खींचती है। जगदीश जोशी की कुमाऊंनी कहानियों पर बातचीत रखते हुए सी पी खातीने कहा उनकी कहानियों में पहाड़ के गांव जीवंत हो उठते हैं। उनकी कहानियों में जीवन की विडंबना, अंतर्विरोध और विरोधाभास पूरी सच्चाई के साथ दिखता है। उनकी कहानी के पात्रों में अच्छाई और बुराई के गुणों को साफ साफ महसूस किया जा सकता है। उनकी कहानियों में पहाड़ के जीवन के सभी रंग महसूस किए जा सकते हैं। इस मौके पर उनकी कविता नंददेबी और जति, कुकुर, पाणी और मैंस, पेड़ बुलान कविताओं का पाठ किया गया जबकि उनके कुमाऊंनी कहानी संग्रह ग्यस उज्याव में से ज्यूनै मसाण का वाचन किया गया। इस मौके पर बीएस डंगवाल, नंदराम आर्य, निखिलेश उपाध्याय, नवेंदु मठपाल, सीपी खाती, भुवन पपने, महेंद्र आर्य,नंदन रावत, खीम सिंह बिष्ट, जगत जोशी मौजूद रहे।